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मेरी लाश के इर्द-गिर्द
होंगे मौज़ूद जो लोग,
अग्रिम गुज़ारिश है
उन सभी सज्जनों से
कि... जान कर इसे
"अंतिम-इच्छा" मेरी
इतना करम करना ...
अपने कीमती अश्क़
मुझ नाचीज़ पर,
ना बहाना
इल्तिजा ये भी है कि
मेरे माता पिता, यदि वे हों,
तो सिवाय उनके,
रोक लेना
हर सगे-संबंधी,
"तथाकथित" रिश्तेदारों को
पार्थिव देह के करीब आने से I
क्यूँकि..
मर के भी, नहीं मंज़ूर मुझे
उनका हाथ भी लगाना II
हो वक़्त जब
मेरे आख़िरी सफ़र के
आग़ाज़ का,
तो "कुछ" तुम में से ही
ये रस्म भी निभा जाना I
बेजान जिस्म के बोझ को
दे कर काँधों का सहारा,
अजनबी हबीब को
अलविदा कह जाना II
- अभिषेक
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