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उनके अफ़्सानों पर
हुए इस क़दर विवाद
कि चला मुक़दमा भी
किया गया प्रतिवाद
पर, थमा नहीं कभी
लिखने का सिलसिला
सच बयाँ करने का
उनका बेबाक अंदाज़
हुई कोशिशें तो बहुत
पर ख़ामोश न हुई
उनकी कलम की आवाज़
ऐसा था कुछ
मंटो साहब का मिजाज़
न हूँ मैं उस दर्ज़े का
कि उनकी बाबत
ज़्यादा कुछ कह सकूँ
वो शख़्सियत उम्दा
हैं कम मेरे अल्फ़ाज़
- अभिषेक
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