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किसी की चाहत किसी के
इन्तज़ार में,
थे कितने इत्मीनान से किसी के
मयार में।
वक़्त ने ज़रा सी करवट क्या ली,
रकीब हमसे पुछ बैठे
मियां ये तो बताओ क्या इतना दर्द
होता है प्यार में?
बदनामी से यूं तो फ़रक नही पड़ता
हमें जाना,
सितम ये था की हम रुस्वा हुए भी तो
मौसम-ए-बहार में।
- रेहान कटरावाले
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