फ़साना बन जाता है's image
Love PoetryPoetry1 min read

फ़साना बन जाता है

rehankatrawalerehankatrawale July 17, 2022
Share0 Bookmarks 99 Reads2 Likes

हम तुम और दास्तां अपनी मोहब्बत की,

महफ़िल-ए-समा में कहता हूं तो फ़साना बन जाता है।


एक तरफ़ा आशिकों के मसले ही कुछ और हैं,

दिल के बात वो समझते नही और ना ये दिल कह पाता है।


वो जो मेरी आंखों में आंसू देख टूट जाया करता था कभी,

जाने क्यूं अब वो मुझे इतना सताता है?


बेखबर हैं हर चीज़ से के फ़र्क नही पड़ता,

ख्याल-ए-दुनिया में अब कौन आता कौन जाता है।


उम्मीद छोडूं ना तो और क्या करूं रेहान,

ना अब वो आती है और ना अब उसका फ़ोन आता है।


अब समझ जाती है वो हर बात बड़ी आसानी से,

कोई तो है जो उसे तौर-ए-ज़िंदगी समझाता है।


मैं उसे अपना कहूं भी तो किस हक़ से?

कोई और है जो उस पर अपना हक़ जताता है।


दर्द बयाँ करना पडता है लफ्ज़ों का सहारा लेकर,

ऐसे ही नही कोई शक्स शायर बन जाता है।।


- रेहान कटरावाले

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts