अहद-ए-वफ़ा का फरेबी अन्दाज़'s image
Love PoetryPoetry1 min read

अहद-ए-वफ़ा का फरेबी अन्दाज़

rehankatrawalerehankatrawale July 17, 2022
Share0 Bookmarks 50 Reads0 Likes

बयाँ करना चाहता है कुछ ये मायूस दिल मगर,

मसला ये है दिन के उजाले में कुछ कह नही पाता।


हैरत है के तुम्हारे बिना तो रहना सीख गया हूं मैं,

हैरान हूं के दर्द-ए-ला-दवा के बगैर मैं रह नही पाता।


उसकी बेवफाई को तो सहन कर सकता हूं मैं ग़ालिबन,

एक उसके अहद-ए-वफ़ा के फरेबी अन्दाज़ को मैं सह नही पाता।


करना चाहता हूं कुछ ऐसा जो रहे उसे तमाम उम्र याद,

मेरी कमज़

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts