Share0 Bookmarks 206955 Reads2 Likes
ये नया दौर है रावण का,
आने फिर से राम हैं बाकी।
सच रोज रसातल में धंसता है,
और पूजी जाती है चालांकी।
अब सबरी जाती दुत्कारी है,
आज रहती पत्थर सी नारी है।
केवट राह जोहता रहता है,
और बेईमानी बस है बेबाकी।
ये नया दौर है रावण का....
अब भाई भाई का ही दुश्मन है,
और माँ बाप का बसेरा बन है।
अब घर घर में मंथरा रहती है,
और टूटनिति बस बनी है लाठी।
ये नया दौर है र
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments