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फूलों ने महकना छोड़ा कहाँ बाग भले बीरान रहा,
नदियों ने बहना छोड़ा कहाँ सामने भले चट्टान रहा |
जीवन को कह देना मुश्किल कितनी नादानी होगी,
इंसा ने जीना छोड़ा कहाँ देखता भले शमशान रहा |
सुख दुःख सहज ही हिस्सा हैं
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