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जहाँ जाड़े की नरम धुप हो ,
थोड़े से भी न मशरूफ हों।
बैठे रहें दालान में चाय संग,
ऐसे लगता है कोई भूप हों।
जहाँ भार्या फटकती सूप हो,
मेरी माँ ही खोलती संदूक हो।
बैठे रहें दालान में रेडिओ संग,
ऐसे लगता है कोई भूप हों।
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