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सब बस बातें नही है,
ये सारी काली रातें नही है,
प्यार है ही इतना ज्यादा,
कि अब हम जताते नही है।
माना हमारी मुलाकाते नही है,
तुम बिन दिन सुहाते नही है,
कैसे मान लूँ, रोज नही देखती मुझे,
क्या अब सपनों में हम आते नही है।
डूबे सब दिखाते नही है,
अंदर कुंठा बाहर गुस्सा,
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