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कैसे खर गया,
घन चतुर छाया जेया,
झर टटोलती ठाठ डाल ढाल,
तम थाम दो,
धाम नए,
पाप फैला बड़ा भयंकर
ममता यहाँ रवि लाल वो,
शिक्षा सरीकी ही क्षत्रप,
त्रिगुण ज्ञान को।
घन चतुर छाया जेया,
झर टटोलती ठाठ डाल ढाल,
तम थाम दो,
धाम नए,
पाप फैला बड़ा भयंकर
ममता यहाँ रवि लाल वो,
शिक्षा सरीकी ही क्षत्रप,
त्रिगुण ज्ञान को।
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