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अब बचा ही क्या है
इस जहां में
मैं मेरी तन्हाई और ये ख़ामोशी
जो छूटना था
वो सब कब का छूट गया मेरे पीछे
जो संभाला हुवा था
मैने अपने इन हाथों में
वो सब भी फिसलता गया
कोरी रेत के जैसे
अब कहा मतलब है किसको
मेरे होने या ना होने से
मैं तो बन गया हूं अब
चलता फिरता कोई पुतला हु जैसे
भूल कर भी कभी इश्क़ न करना
वरना बन जाओगे
बिलकुल मैं बन गया हु वैसे
-रवि नकुम (ख़ामोशी)
इस जहां में
मैं मेरी तन्हाई और ये ख़ामोशी
जो छूटना था
वो सब कब का छूट गया मेरे पीछे
जो संभाला हुवा था
मैने अपने इन हाथों में
वो सब भी फिसलता गया
कोरी रेत के जैसे
अब कहा मतलब है किसको
मेरे होने या ना होने से
मैं तो बन गया हूं अब
चलता फिरता कोई पुतला हु जैसे
भूल कर भी कभी इश्क़ न करना
वरना बन जाओगे
बिलकुल मैं बन गया हु वैसे
-रवि नकुम (ख़ामोशी)
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