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लब्ज़ अब आते ही नहीं इस जुबान पे

कहाँ की तपती धूप में सब कुछ पिघल गया

सिवाय उनके दिलों दिमाग के

जज़्बात जिंदा ही नहीं अब इंसान में

कहाँ अपनों की दो वक़्त की रोटी के लिए

घर छोड़े थे

अब घर को ताकते यहाँ वहाँ

अपनी ही रोटी की तलाश में ..

#ravim1987

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