मजदूर's image
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वैसे तो कोई पूछता नही

इनकी विरासत तो बरसों की है

जाओ कोई मजदूरो की बस्ती में

जहाँ रोटियों की क़ीमत महँगी है

इनकी जानें कुछ सस्ती सी

तुमने देखीं होंगी कुछ तस्वीरों में

आधे लिबास में कुछ पुरे हॅसते चेहरे

ईंधन की ज़गह ख़ून झोंखक़र

सड़के,घऱ कुछ यूँ बनाते

सब पैसे से पैसा कमाते

पर ये दो वक़्त का घर चलाते

दूर दराज़ जाके अपने परिवारों का पेट पालते

शौक़ मुनासिब इनके भी होंगे

पर वक़्त कहाँ इनपे मेहरबां हो पाते

ज़ख़्म इन्हे ही भी होते हैं

कहाँ कोई मरहम बन पाते

बहरा समाज क्या इतना भूखा हो गया है

इनकी रोटियाँ इनसे छीन के इनको ही भूखा नंगा कह जाते

#ravim1987

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