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हो सके तो नाप लूँ ये दर्द... तेरा !
हो सके तो नाम लूँ फिर... तेरा !!
आज कल की भीड़ में हम इतने उलझें हैं !
ये ढूँढता हूँ की वक़्त है कहाँ... मेरा !!
हो सके तो नाम लूँ मैं फिर तेरा !
हो सके तो सांस लूँ मैं फिर ज़रा !!
पल -पल ये धक्के -मुक्के देती जिंदगी !
कब सुबह हुई और कब शाम ढला... मेरा !!
आज कल लगती किराये सी ये जिंदगी !
हो सके तो माँफ़ कर दे एक-दो... क़र्ज़ ज़र
हो सके तो सांस लूँ मैं फिर ज़रा !
हो सके तो नाम लूँ
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