
हो सके तो नाप लूँ ये दर्द... तेरा !
हो सके तो नाम लूँ फिर... तेरा !!
आज कल की भीड़ में हम इतने उलझें हैं !
ये ढूँढता हूँ की वक़्त है कहाँ... मेरा !!
हो सके तो नाम लूँ मैं फिर तेरा !
हो सके तो सांस लूँ मैं फिर ज़रा !!
पल -पल ये धक्के -मुक्के देती जिंदगी !
कब सुबह हुई और कब शाम ढला... मेरा !!
आज कल लगती किराये सी ये जिंदगी !
हो सके तो माँफ़ कर दे एक-दो... क़र्ज़ ज़र
हो सके तो सांस लूँ मैं फिर ज़रा !
हो सके तो नाम लूँ मैं फिर तेरा !!
तफ़्तीश मैं क्या करू , तू बोल दे अब ज़रा
उलझनें जो कम हो , तो सोच लूँ ये भी ज़रा !!
बख्शीश मैं क्या दे दूँ इसे , तू बता दे... ज़रा !
हर मोड़ पे नए रास्ते हैं , किसे चुनूँ मैं.. भला !!
हो सके तो इस पड़ाव में , फ़िर आवाज़ दूँ ज़रा !
हो सके हर ठहराव में , बिखर जाऊ ज़रा !!
हो सके तो सांस लूँ मैं फिर ज़रा !
हो सके तो नाम लूँ मैं फिर तेरा !!
----------------------------------------------------- ravim1987
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