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याद कोई पुरानी सी है
किसी कोने की तख्तियो से झांकि सी है
वो कल ही था जब हम बेसुध से भागे थे
कभी घर के दिवारों से फांदे थे
और कभी अतरंगी से नाचे थे
आज उम्रदराज लगती ये सोच
बस कल ऐसे ही फूटे थे
कभी ये हंसी के ठहाके
और कभी गम को भी कूटे थे।
#बेपरवाहबचपन
#ravim1987
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