बेटी बिदाई's image
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एक बेटी माँ की दुलारी,

जैसे बगिया माली को प्यारी;

एक चुटकी सिंदूर पुरे परिवार पे भारी,

हे विधाता कैसी ये रीत तुम्हारी।


आया घोड़ी चढ एक राजकुमार,

ले गया प्यारी बिटिया और फुलो के गुलदस्ते;

किया कन्यादान पिता ने,

बेटी चली पिया संघ ससुराल के रास्ते।


एक घर छोड चली,

एक घर की ओर चली;

एक परिवार का छूटा साथ,

एक परिवार से नाता जोड़ चली।


माँ की ममता बेटी को पुकारे,

बेटी मुङ-मुङ के माँ को निहारे;

कैसा है ये भाग्य का खेल,

जिसे आज तक कलेजे से लगा के पाला आज उसे ही भेज दीया किसी अंजाने के साहारे।


लेखक-रवि❤️

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