फिर एक बार's image
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जब मैं नववधू बनकर आई थी तेरे द्वार,

मन में भर लाई थी सुंदर सपने हजार,


घर के आंगन में सुनहरी धूप बिखरी थीं,

पल भर के लिए , उसे छूने को , मैं ठहरी थी,


मन में एक तस्वीर गढ़ा था,

जिस पर तुम्हारा रंग चढ़ा था,


नज़र भर देखा, जब तुमने मुझे पहली बार,

दिल गई मैं, तुझपर सजन उसी पल हार,


ह्रदय में थे अनगिनत सपने,

पूरा करने का वचन दिया था तुमने,


तुमने सारे खूबसूरत वादें निभाए,

खट्टे-मीठे पल हमने संग बिताए,


प्रेम का अनोखा अटूट बंधन बांधा तुमने

मुझे हर जन्म में अपनी अर्धांगिनी माना तुमने,


मेरे सारे इन्द्रधनुषी सपने को किया तुमने साकार,

जब दिया तुमने मुझे एक अमूल्य बेटी उपहार,


टूट जायेंगे जब प्राणों के डोर,

फिर से नया जीवन लेकर,

ढूंढेंगे ये नयन चारों ओर,

तब मिलूंगी तुमसे प्रिय,

फिर एक बार

फिर एक बार,

फिर एक बार।




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