ये बेजुबान से लोग ,सबकुछ सह जाते हैं
ये तो अंधेरों को भी रौशनी कह जाते हैं,
और चाहते हैं कि कुछ तो बदल जाए
पर खुद तो गूंगे बहरे से रह जा
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