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सफर कहूँ तुझे या हमसफ़र कहूँ
मेरे रूह का लिबास तू कहूँ तो क्या कहूँ,
थोड़े दिन ही बचे तेरे साथ के
मैं नहीं फ़ना तेरे बाद में,
ख्वाहिशों की बारिशे अब तो थम हुई
रौशनी की रौशनी अब ना कम हुई
"rashid ali ghazipuri "
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