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क़ूवते लफ़्ज़ अब तो खतम हुए
नहीं सिमटती अब हर दर्द अल्फ़ाज़ों में,
उन लफ़्ज़ों का बिफर जाना
और ये कहना, बस कर
जरिया नहीं हम ग़म मिटाने का,
जा ढूंढ कंही और मरहम
जख्मों पे लगाने का..
"Rashid Ali Ghazipuri "
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