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मरीज़े इश्क़ हैं

जख्म छुपाने की आदत अपनी

न शिफ़ा की चाहत , ना कोई दवा मुफीद है

बस फिरते हैं, तनहा तनहा खुद ही

न ही कोई हमसफ़र न कोई मंजिल करीब है…

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