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अगर खामोश तू है
तो ये अलफ़ाज़ ही क्यों है
कुछ बात तो कर, कुछ बात तो कर
तू सहमा सा, है तू डरा सा,
क्यूँ घिरा ख़ौफ़ के परदों में
अब इन पर्दों को , तू चाक भी कर
तू चाक तो कर
“rashid ali ghazipuri”
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