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सब तमन्ना धूल हुई,
सपने सब ख़ाक हुए
तुम भी जले इस आग में,
और हम भी जलकर राख़ हुए।
रंजीत"मुनहसिर"
सपने सब ख़ाक हुए
तुम भी जले इस आग में,
और हम भी जलकर राख़ हुए।
रंजीत"मुनहसिर"
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