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प्रभु राम मेरे,
सखा श्याम मेरे,
सब बिगड़ी बनाते काम मेरे।
मेरे रोम-रोम में वास तेरा,
तू हर विपदा में आस मेरा।
अविचलित और अनन्त प्रभु,
है तुझमें तो विश्वास मेरा।
जो तेरी शरण मिली तो
जग से मान मिला,
वैभव,स्नेह और सम्मान मिला।
मेरे तीरथ तुम ही,सब धाम मेरे।
प्रभु राम मेरे,
सखा श्याम मेरे,
सब बिगड़ी बनाते काम मेरे।
बंज़र न रहा अब मन-जीवन,
तेरे स्नेह से जबसे सिंचित हूँ।
तेरा नाम सहारा जबसे हुआ ,
भयभीत न अब मैं किंचित हूँ।
संकट बाधा सब दूर किए,
हर ली हर एक पीड़ा मेरी।
दुःख क्षण में मेरा दूर किया,
सब तुमने किए सुख नाम मेरे।
प्रभु राम मेरे,
सखा श्याम मेरे,
सब बिगड़ी बनाते
काम मेरे।
जो कुछ भी मेरे पास,है तेरा।
तेरे प्रेम सिवा कुछ मोह न मेरा।
कण-कण मेरा तुमको ही समर्पित,
मन-प्राण भी सब तुमको अर्पित।
तुम पल-पल में,
तुम हर पल में।
तुम सुबह,तुम ही हो
शाम मेरे।
प्रभु राम मेरे,
सखा श्याम मेरे।
सब बिगड़ी बनाते,
काम मेरे।
रंजीत"मुनहसिर"।
10/04/2022
सखा श्याम मेरे,
सब बिगड़ी बनाते काम मेरे।
मेरे रोम-रोम में वास तेरा,
तू हर विपदा में आस मेरा।
अविचलित और अनन्त प्रभु,
है तुझमें तो विश्वास मेरा।
जो तेरी शरण मिली तो
जग से मान मिला,
वैभव,स्नेह और सम्मान मिला।
मेरे तीरथ तुम ही,सब धाम मेरे।
प्रभु राम मेरे,
सखा श्याम मेरे,
सब बिगड़ी बनाते काम मेरे।
बंज़र न रहा अब मन-जीवन,
तेरे स्नेह से जबसे सिंचित हूँ।
तेरा नाम सहारा जबसे हुआ ,
भयभीत न अब मैं किंचित हूँ।
संकट बाधा सब दूर किए,
हर ली हर एक पीड़ा मेरी।
दुःख क्षण में मेरा दूर किया,
सब तुमने किए सुख नाम मेरे।
प्रभु राम मेरे,
सखा श्याम मेरे,
सब बिगड़ी बनाते
काम मेरे।
जो कुछ भी मेरे पास,है तेरा।
तेरे प्रेम सिवा कुछ मोह न मेरा।
कण-कण मेरा तुमको ही समर्पित,
मन-प्राण भी सब तुमको अर्पित।
तुम पल-पल में,
तुम हर पल में।
तुम सुबह,तुम ही हो
शाम मेरे।
प्रभु राम मेरे,
सखा श्याम मेरे।
सब बिगड़ी बनाते,
काम मेरे।
रंजीत"मुनहसिर"।
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