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लक्ष्य जब भेदा जाता है,
एक बार तो प्राण आता है,
शस्त्र से अस्त्र से या शास्त्र से
पास हमारे विकल्प अनादि है,
है साहस तुझमें तो सामने आ
बता अब बचा क्या बाकी है,
भेद दे उस आँख को,
कर प्राप्त उस साहस को,
जो त्याग किया है तुमने
अब शून्य ना लगेगा हाथ को,
प्रभात के मस्तक को चीरेंगे,
चाहे आएं रक्त लाल हो जिस्म हलाल
हार की हर बसात को चीरेंगे,
एक बार तो प्राण आता है,
शस्त्र से अस्त्र से या शास्त्र से
पास हमारे विकल्प अनादि है,
है साहस तुझमें तो सामने आ
बता अब बचा क्या बाकी है,
भेद दे उस आँख को,
कर प्राप्त उस साहस को,
जो त्याग किया है तुमने
अब शून्य ना लगेगा हाथ को,
प्रभात के मस्तक को चीरेंगे,
चाहे आएं रक्त लाल हो जिस्म हलाल
हार की हर बसात को चीरेंगे,
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