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मेरी तरफ देखकर वो मुस्कुराने लगी है
लगता है वो मुझे चाहने लगी है
मेरी बातें आजकल वो सखियों को बताने लगी है
लगता है वो मुझे चाहने लगी है
जो कभी सीधे चला करती थी
अब वो इतराने लगी है
लगता है वो मुझे चाहने लगी है
जिसके बाल उलझे से रहते थे
सवाल सुलझे से रहते थे
आज वो बातों में उलझाने लगी है
लगता है वो मुझे चाहने लगी है
जो कभी आईना न देखती थी
वो आईने के सामने मुस्कुराने लगी है
लगता है वो मुझे चाहने लगी है
पहले जो कभी सपने न देखती थी
आज वो दिन में भी सपनों में खो जाने लगी है
लगता है वो मुझे चाहने लगी है
यूँ तो श्रृंगार पसंद न था उसे
पर आज घंटो श्रृंगार करने लगी है
जो कभी एक मैसेज करती थी
आज घंटों फ़ोन पर बातें करने लगी है
लगता है वो मुझे चाहने लगी है।
-Ramji Pathak
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