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जो बात तुझ में है,तेरी तस्वीर में कहां
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जो बात तुझ में है,तेरी तस्वीर मे कहां।
तुझसे मिलन होगा,मेरी तकदीर में कहां।।
तू है महलों की रानी,मै झोपड़ी का बाशिंदा।
तू झोपड़ी में रह सकेगी तेरे जमीर मे कहां।।
करता हूं बेपनाह मोहब्बत तुझे क्या पता।
तुझे मोहब्बत करना तेरी तासीर में कहां।।
कहता हूं जो कुछ उसे पूरा कर मै दिखाऊं।
जो कुछ तू कह देती है तेरी तहरीर में कहां।।
तेरी मासूमियत देखकर तुझे दिल दे बैठे थे।
जो मासूमियत चेहरे पर है वह तस्वीर मे कहां।।
ऐसा नही कि दिल में तेरी तस्वीर नही थी।
अब तू ही बता तेरा नाम मेरी लकीर में कहां।।
लिखता है रस्तोगी,जो उसके दिल में होता।
दिल की बात लिखना तेरे जमीर मे कहां।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम
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