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उत्तराखंड के जंगलों मे एक बुद्धिमान ताकतवर लोमड़ी रहती थी। वह लोमड़ी बहुत ही झगड़ालू थी। नहीं छोटी छोटी बातों में अपने साथी जानवरों से झगड़ा करती थी। जंगल में अपना पेट भरने के बाद जब रहे वह लोमड़ी खेलती थी तो उछल कूद करते हुए जंगल का कोई छोटा जानवर उसके सामने आ जाता था तो वह उसे घायल कर देती थी और उस छोटे जानवर को घायल करने के बाद बहुत खुश होती थी। और खुश होने के बाद अपनी गुफा की तरफ हंसते हुए चली जाती थी। ऐसे एक दिन वह ताकतवर लोमड़ी उछल कूद करके जंगल में खेल रही थी और पहाड़ी से पैर फिसलने की वजह से उसकी एक टांग टूट जाती है टांग टूटने का दर्द बर्दाश्त ना कर पाने की वजह से लोमड़ी बेहोश हो जाती है। और जब वह होश में आती है तो दिखती है की जंगल के छोटे बड़े उसके साथी जानवर उसकी टांग टूटने का आनंद लेकर हंस रहे हैं। उस दिन लोमड़ी को एहसास होता है कि अगर मैं अपनी बुद्धि ताकत का इनसे लड़ाई झगड़े की जगह इनकी भलाई में या जंगल की भलाई में इस्तेमाल करती तो आज जंगल के यह सारे जानवर मेरी इस दुर्दशा का बहुत दुख करते।
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