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सब जोड़ना, घटाना, गुना या भागाकार करना
क्या इतना मुश्किल है इस ज़माने में प्यार करना
कितनी मशक़्क़त है बरसने के लिए भी यहाँ
देर बादलों को देखना, देर इंतज़ार करना
मैंने समझा था कि फ़लसफ़े दिया करती है मुहब्बत
पर ये क्या काम कि पूरा आदमी बेकार करना
मिलेंगे यार तो अब गुंजाइश न रखना बरा-ए-मेहरबानी
रिश्ते पे कफ़न बिछाना, उम्मीदें तार-तार करना
मैं तुमसे बिछड़ के सारी क़ुदरत को गले लगाऊँगा
तुम हर शाम में महकना, हरेक सबा फुहार करना
ज़िंदगी दौलत है 'रजनीश' इसपे पहरा ज़रूरी है
तुम ऊँची दीवार बनना, खुदको पहरेदार करना
– रजनीश्वर चौहान 'रजनीश'
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