Share0 Bookmarks 30687 Reads1 Likes
शुभ संध्या मित्रों।
प्रेम मैं मत लीजिये, मशवरा उनका।
प्रेमिकाओं कों पत्नियां बना बैठे हैं जो।।
हिजाब मर्दों कों दो, और चश्मे औरतों कों।
नकाब कमी ओढे, चश्मा नमी ओढे।।
बुराईयों ने दी मेरी शायरी कों धार।
अच्छाई मैं, अच्छा भी नहीं लिख पाया।।
शेर मुकम्मल लिख सकता हूँ आज अभी।
छोटेपन मै बातें कैसे बड़ी कहूँ।।
नई नस्ल और जल्दी कह
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments