मर्यादा's image
Share0 Bookmarks 46624 Reads1 Likes
भिन्न भिन्न जगहों पर भिन्न भिन्न मर्यादा सखी,
कभी चौखट की ओट,कभी साथ निभाने बाहर भी,

मर्जी इसमें अपनी कहाँ, मज़बूरी है रिवाजों की,
साँस चलती अपनी जिसमें, इजाज़त मगर गैरों की,

चलने फिरने उठने बैठने हंसने बोलने सब पर तो रोक है,
पति है परमेश्वर पर दासी रही नारी सदा, ऐसा ये लोक है,

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts