
Share0 Bookmarks 7 Reads0 Likes
गणतंत्र दिवस”
स्वतंत्र से गणतंत्र होने की
घड़ी शुभ वो आई थी
संविधान अपना रचा गया था
परतंत्रता की विदाई थी
काले कानून की कलम काली
उस रोज गई तोड़ी थी
नवनिर्मित कड़ी संविधान की
गई इतिहास में जोड़ी थी
छब्बीस जनवरी सन पच्चास का
आया शुभ दिन अति विशेष था
गोरे भाण्डों का कानून काला
रहा रत्ती भर भी ना शेष था
गणतंत्र का दिवस अति प्यारा
लाया उमंगों भरी रवानी है
हुआ सुशोभित तिरंगा भाल पर
कहता अमर वीरों की कहानी है
कहता अमर वीरों की कहानी है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments