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गणतंत्र दिवस”
स्वतंत्र से गणतंत्र होने की
घड़ी शुभ वो आई थी
संविधान अपना रचा गया था
परतंत्रता की विदाई थी
काले कानून की कलम काली
उस रोज गई तोड़ी थी
नवनिर्मित कड़ी संविधान की
गई इतिहास में जोड़ी थी
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