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कविता ऐसी होनी चाहिए
जिसकी तहें खोल कर
शॉल की तरह ओढा जा सके
एक चादर के जैसे बिछाया भी जा सके
जिसे रबर के जैसे खींच कर
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कविता ऐसी होनी चाहिए
जिसकी तहें खोल कर
शॉल की तरह ओढा जा सके
एक चादर के जैसे बिछाया भी जा सके
जिसे रबर के जैसे खींच कर
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