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तुमसे मिलके मेरा तार तार चमक उठता है
तू ऐसी फुलझरी है
तेरी एक हँसी से खिल जाते हैं जो दिल मे
तू उन बागों की परी है
हर गुलिस्ताँ महरूम है जिससे तू वो नायाब कली है
कोई गुलाब तुझे क्या महकाएगा
तेरी हर अदा ख़ुशबुओं से भरी है
तेरे होंटों का सुर्ख़ रंग किसी गुलाब से कह
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