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खौफ के साए
आग की लपटों मंें शहर देखा है
खुद का भी जलता घर देखा है।
दरिन्दे सारे बासिन्दे थे यहीं के
सहमे हुए बोले, बस एक नजर देखा है।
ये तंज था कैसा, रंजिश थी कैसी
सब को दिल से उगलता जहर देखा है।
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