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जीवन


भावों भरा है जीवन का नभ

जीवन-मन कितना भावुक है

चुप्पी साधे है इसकी व्यथा

प्राणमुलक है पर मुक है।


जीवन जीने की आशा है यही

मन को भावों का वरदान है

समुचे जग मंे नहीं सुरमयी

इस जैसी एकल गान है


कर इसी का तु अभिनन्दन

नहीं है भटकाव इसमें

नाश हो जाएंगे हर दोष

है आकर्षक अलाव इसमें


जीवन सफर में मन के रथ का

भाव ही अमर सार्थी है

जो न समझ सका इस भाव की कृपा

वो क्षमाप्रार्थी है।


राजीव कुमार





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