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दिए जगत को वृक्ष ने ,
फल फूल पत्र और छाँव ,
परोपकार में उसका जीवन ,
झरना सा बह गया ।
पशु, पक्षी ,मनुष्य , सभी में ,
उसने जीवन संचार किया ,
फिर देह भी दान कर दी ,
निढ़ाल होकर ढह गया ।
- राजीव ' हैरान '
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