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प्रगति की भागमभाग में उत्पादन की दौड़ में,
भौतिकता के अहंकार में विनाश की होड़ में,
जहर हवा में घुल गया पानी भी जहर हो गया,
गर्मी की ऋतु पसर गयी प्रकोप ग्रीष्म का बढ़ गया,
हेमन्त विलुप्त हो गया वसंत कहीं खो गया,
समय से पहले पकी फसल कमी उपज में हो गयी,
सूखे कुएं और तालाब वृक्ष ठूंठ हो रहे,
सूने रास्तों पर लू में सूखे पत्ते उड़ रहे,
समय से पहले फूल अपनी डालियों से बिछुड़ रहे,
हेमन्त विलुप्त हो गया वसंत कहीं खो गया।
- राजीव ' हैरान '
- राजीव ' हैरान '
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