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ठहर जाओ पहर भर इल्तिजा है मेरी,
बहुत धूप है अभी किधर जाओगे,
मोम सा जिस्म है डर है कि पिघल जाओगे,
शाम होने दो दोपहर में किधर जाओगे ।
- राजीव ' हैरान '
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ठहर जाओ पहर भर इल्तिजा है मेरी,
बहुत धूप है अभी किधर जाओगे,
मोम सा जिस्म है डर है कि पिघल जाओगे,
शाम होने दो दोपहर में किधर जाओगे ।
- राजीव ' हैरान '
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