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रोज़ ओ शब सरेआम ये तमाशा होता है,
हर लम्हा वक्त का जिन्दगी से तकाजा होता है।
- राजीव ' हैरान '
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रोज़ ओ शब सरेआम ये तमाशा होता है,
हर लम्हा वक्त का जिन्दगी से तकाजा होता है।
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