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पावन प्रातः प्रार्थना सी वो,
कोमल सुन्दर सपने सी,
मृग मद् सी सुरभित वो,
मन को लगती अपनी सी ।
- राजीव ' हैरान '
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पावन प्रातः प्रार्थना सी वो,
कोमल सुन्दर सपने सी,
मृग मद् सी सुरभित वो,
मन को लगती अपनी सी ।
- राजीव ' हैरान '
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