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जब से तुम सपनों में आई,
महक उठी मन की अंगनाई,
मैंने तुमको अपना समझा,
सच्ची तुमने प्रीत निभाई.
- राजीव ' हैरान '
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जब से तुम सपनों में आई,
महक उठी मन की अंगनाई,
मैंने तुमको अपना समझा,
सच्ची तुमने प्रीत निभाई.
- राजीव ' हैरान '
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