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झरत निर्झर कुंज झर झर,
हरत मन पुलकित हर हर,
चलत पवन वसंती सर्र सर्र,
उल्लासित गात्र चंचल अर अर,
बहत सरित निनाद कल कल,
बसत प्राण अविराम सरगम ।
- राजीव ' हैरान '
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झरत निर्झर कुंज झर झर,
हरत मन पुलकित हर हर,
चलत पवन वसंती सर्र सर्र,
उल्लासित गात्र चंचल अर अर,
बहत सरित निनाद कल कल,
बसत प्राण अविराम सरगम ।
- राजीव ' हैरान '
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