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नमन् मात वसुन्धरा,हे धरती,हे धरा,
आश्रय वस्त्र भोजन और फल दे,सभी को,
शान्तिदायक औषध दे और निर्मल जल दे,सभी को,
तूने सब कल दिया फिर आज और कल दे,सभी को,
तेरे प्रदूषण का भार मिल उतारेंगे जन जन,सभी,
आशीष दे हमें निश्छल उदात्त दे मन,सभी को.
- राजीव ' हैरान '
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