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कुदरत का ये निजाम है,
रुत बदल रही है नजारे बदल गए हैं,
तुम बदल गए हो हम भी क्यों न बदलें।
- राजीव ' हैरान '
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कुदरत का ये निजाम है,
रुत बदल रही है नजारे बदल गए हैं,
तुम बदल गए हो हम भी क्यों न बदलें।
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