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तुम रूप का समंदर,
मैं सीप एक प्यासी,
तेरे हिस्से मे तरंगें,
मेरे हिस्से मे उदासी।
- राजीव ' हैरान '
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तुम रूप का समंदर,
मैं सीप एक प्यासी,
तेरे हिस्से मे तरंगें,
मेरे हिस्से मे उदासी।
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