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गोल चाँद ,गोल सूरज धरा ,
गोल मुक्तक माणिक्य क्यों न हों भला ,
पर जो तराशे जाने की पीड़ा झेलता ,
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गोल चाँद ,गोल सूरज धरा ,
गोल मुक्तक माणिक्य क्यों न हों भला ,
पर जो तराशे जाने की पीड़ा झेलता ,
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