
Share0 Bookmarks 32 Reads0 Likes
गोल चाँद ,गोल सूरज धरा ,
गोल मुक्तक माणिक्य क्यों न हों भला ,
पर जो तराशे जाने की पीड़ा झेलता ,
वही हीरक झिलमिलाता अंग पर ।
- राजीव " हैरान '
No posts
No posts
No posts
No posts
गोल चाँद ,गोल सूरज धरा ,
गोल मुक्तक माणिक्य क्यों न हों भला ,
पर जो तराशे जाने की पीड़ा झेलता ,
वही हीरक झिलमिलाता अंग पर ।
- राजीव " हैरान '
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments