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एक तारे की उपस्थिति ,
दिवसावसान कर गयी ।
आकाश से सन्ध्या परी ,
मौन सी उतर गयी ।
धीरे धीरे तारों का ,
हुजूम सा उमड़ पड़ा ।
प्रौढ़ होकर सन्ध्या भी ,
रात में बदल गयी ।
- राजीव ' हैरान '
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