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जिसकी भोर रुपहली,
और हर दोपहर सुनहरी,
जिसकी शाम सुरमई,
और हर रात चाँदनी,
जिसकी नदियाँ बहती निर्मल,
और शस्य श्यामला धरती उर्वर,
जिसकी सम्प
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जिसकी भोर रुपहली,
और हर दोपहर सुनहरी,
जिसकी शाम सुरमई,
और हर रात चाँदनी,
जिसकी नदियाँ बहती निर्मल,
और शस्य श्यामला धरती उर्वर,
जिसकी सम्प
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