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जब भी किसी उलझन में पाया तुम को,
तुम में एक बच्चा नजर आया हम को,
नाखून चबाते कुछ सोचते हुए,
या राह चलते ठोकर लगाते पत्थरों को.
- राजीव ' हैरान '
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जब भी किसी उलझन में पाया तुम को,
तुम में एक बच्चा नजर आया हम को,
नाखून चबाते कुछ सोचते हुए,
या राह चलते ठोकर लगाते पत्थरों को.
- राजीव ' हैरान '
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